जन्माष्टमी
जन्माष्टमी भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाई जाती है। इस पावन दिन हर मंदिर घंटियों की मधुर ध्वनि और हरे कृष्ण के गूंजते जयघोष से जीवंत हो उठता है। जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और यह हिंदुओं के प्रमुख एवं अत्यंत पावन त्योहारों में से एक है।
यदि आप जन्माष्टमी के अवसर पर यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो भारत के कुछ विशेष स्थलों की यात्रा अवश्य करनी चाहिए, जहां यह पर्व अत्यंत भव्य और धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार प्रायः दो दिनों तक चलता है—पहला दिन भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव माना जाता है, जबकि दूसरे दिन उनके आगमन और बाल रूप की लीलाओं का उल्लासपूर्वक उत्सव मनाया जाता है।
जन्माष्टमी पर इस बार कुछ खास करें जाएं इन प्रसिद्ध इस्कॉन मंदिरों में
1. मथुरा
मथुरा उत्तर प्रदेश में स्थित एक प्राचीन और पवित्र नगर है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के रूप में विशेष पहचान मिली है। जन्माष्टमी के अवसर पर यह शहर अलौकिक आभा से जगमगा उठता है और हर ओर भक्ति एवं उत्साह का वातावरण छा जाता है। इस दिन पूरा शहर रंग-बिरंगी रोशनी, फूलों की सजावट और भक्तिमय गीतों से गूंज उठता है। ठीक मध्यरात्रि के समय कृष्ण जन्मोत्सव का शुभारंभ होता है, जब मंदिरों की घंटियां, शंखनाद और जयघोष पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना देते हैं। यहां आयोजित झांकियों में भगवान कृष्ण के बाल्यकाल और उनके जीवन की झलकियां मनमोहक रूप में प्रस्तुत की जाती हैं, जिन्हें देखकर श्रद्धालु दिव्य आनंद का अनुभव करते हैं।

2. गोकुल, बरसाना और नंद गाँव
जन्माष्टमी के अवसर पर मथुरा के साथ-साथ गोकुल, बरसाना और नंदगाँव की यात्रा भी बेहद खास अनुभव देती है। इन स्थलों पर यह पर्व अत्यंत हर्षोल्लास और भव्यता के साथ मनाया जाता है। चूँकि यही वे पावन स्थान हैं जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया था, इसलिए यहाँ की जन्माष्टमी उत्सव का स्वरूप अनोखा और अद्भुत होता है। इन गाँवों की गलियाँ भक्ति और उल्लास से भर उठती हैं, मंदिरों में सुंदर झांकियाँ सजाई जाती हैं और पारंपरिक उत्सवों के माध्यम से कृष्ण लीलाओं का सजीव चित्रण किया जाता है, जो श्रद्धालुओं को गहरी आस्था और आनंद से सराबोर कर देता है।
3. वृन्दावन
मथुरा से कुछ दूरी पर स्थित वृंदावन भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा एक अत्यंत पावन और आध्यात्मिक नगर है। यहां असंख्य प्राचीन और भव्य मंदिर स्थित हैं, जो जन्माष्टमी के अवसर पर अद्भुत आभा से सज जाते हैं। इस दिन वृंदावन की गलियाँ भक्ति-संगीत, कीर्तन और रंग-बिरंगी रोशनियों से जीवंत हो उठती हैं, जिससे पूरे वातावरण में अलौकिक रौनक बिखर जाती है। यहां आने वाले श्रद्धालु बांके बिहारी मंदिर, इस्कॉन मंदिर, राधा रमण मंदिर और गोविंद देव जी मंदिर जैसे प्रमुख तीर्थस्थलों में दर्शन कर भगवान के दिव्य स्वरूप और भक्ति का अद्वितीय अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

4. द्वारका
द्वारका, गुजरात का वह पावन नगर है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपना राज्य स्थापित किया था। जन्माष्टमी के अवसर पर यह नगरी भक्ति और उत्सव की भव्यता से सराबोर हो उठती है। इस दिन यहाँ विशेष अनुष्ठानों की श्रृंखला आयोजित होती है—प्रातःकाल की मंगल आरती से लेकर मध्यरात्रि के महाभोग और कृष्ण जन्मोत्सव तक। मंदिरों की घंटियाँ, शंखनाद और भजनों की मधुर ध्वनि वातावरण को आध्यात्मिक बना देती हैं। जन्माष्टमी के समय द्वारका की यात्रा श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय और अविस्मरणीय अनुभव साबित होती है।
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1. जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?
जन्माष्टमी कृष्ण के जन्मोत्सव के रुप में भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है जो आमतौर पर अगस्त और सितम्बर में आती है.
2. जन्माष्टमी पर कोन-कोन से शहर घुमने लायक है?
1. गोकुल
2. वृन्दावन
3. मथुरा
4. नंद गाँव
5. द्वारका
6. बरसाना
3. क्या जन्माष्टमी के समय इन शहरों में भीड़ होती है?
हां बिल्कुल, खासकर की मथुरा, वृन्दावन और द्वारका जैसे धार्मिक शहरों में भीड़ भाड़ होती है इसलिए पहले से योजना बनाना और होटल बुकिंग करना चाहिए.
4. क्या जन्माष्टमी में ये शहर रातभर खुले रहते है?
हां, यहां के मंदीर और धार्मिक स्थानों पर रातभर कार्यक्रम चलते है विशेष कर झाकियां, पूरी रात कीर्तन और भक्तों का नृत्य होता है.









